Saturday 15 September 2018

सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जगाकर तो देख - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता

सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जगाकर तो देख


सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जागाकर तो देख
खुद को इस देश की , जागीर बनाकर तो देख

यूं ही नहीं रोशन होता ज़ज्बा , देश पर मर मिटने का
एक बार खुद को , देश पर लुटाकर तो देख

लगते हर बरस मेले , माँ के सपूतों की कब्र पर
एक बार ही सही देश के , दुश्मनों से आँख मिलाकर तो देख

रोशन होगा तेरा नाम , रोशन होगी शख्सियत तेरी
एक बार तो देश पर , कुर्बान होकर तो देख

वतन परस्ती का ज़ज्बा , दिल में कर रोशन
जिन्दगी का हर पल , मादरे वतन पर लुटाकर तो देख

कुछ गीत लिखो , मादरे वतन की आन और शान पर
अपनी कलम की खुशबू से , इस वतन को रोशन कर देख

वतन के दुश्मनों को सिखाना है दुश्मनी का सबक
इस ज़ज्बे से हर पल , जिन्दगी का सराबोर करके तो देख

सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जागाकर तो देख
खुद को इस देश की , जागीर बनाकर तो देख

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता

कोरे मन पर कितना कुछ लिख देती किताबें - द्वारा अनिल कुमार गुप्ता, पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस


कोरे मन पर कितना कुछ लिख देती किताबें

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता

पुस्तकालय अध्यक्ष

केंद्रीय विद्यालय सुबाथु
(पूर्व विद्यालय – के वी सिवनी एवं फाजिल्का)

कोरे मन पर
कितना कुछ
लिख देती किताबें

मन के कोने में
बाट टोह रहे
अनसुलझे प्रश्नों का
जवाब देती किताबें

क्या , क्यों और कैसे ?
इन प्रश्नों से जूझ रहे
बालमन का जवाब
होती पुस्तकें

आखिर ऐसा क्यों होता है ?
ऐसे आश्चर्यजनक तथ्यों का
भण्डार होती किताबें

संस्कृति और संस्कारों का
विस्तार होती किताबें
सपनों के साकार होने का
आधार होती किताबें

संवेदनाओं का विस्तार होती किताबें
संस्मरणों की धरोहर होती किताबें

पीढ़ी दर पीढ़ी
विचारों, चिन्तनों का
विस्तार होती किताबें

आसमां की उड़ान का
आधार होती किताबें

एक आदमी के
आम से विशेष होने का
सफ़र होती किताबें

वक़्त के कैनवास पर
जिन्दगी का कोलाज बन
संवरती किताबें

सृजन का आधार होती किताबें
सही और गलत
भले और बुरे का
भान होती किताबें

ये अनोखी दुनिया है किताबों की
अतिविशिष्ट ऊर्जा का संचार करती किताबें

युगों की नींद से जगाकर
झकझोर देने का माद्दा रखती किताबें

दर्शन , धर्म, आध्यात्म और मोक्ष, ज्ञान - विज्ञान का
विस्तार होती किताबें

गीत और संगीत का मर्म बन
जिन्दगी संवारती किताबें

“जियो और जीने दो” का मर्म बन
जिन्दगी संवारती किताबें

किताबें , कल , आज और कल को
संजोती , संवारती
जिन्दगी में पिरोती

किताबें , किताबें , किताबें ....................