नालायक – कहानी
पारस अपने माता – पिता की दो संतानों में छोटा था | बड़ी बहन कोमल सबकी लाड़ली बनी हुई थी | इसका मुख्य कारण है उसका सुसंस्कृत होना एवं पढ़ाई में अव्वल आना था | पढ़ाई के साथ – साथ घर के कामों में हाथ बंटाना और सभी का सम्मान करना | इन गुणों के चलते कोमल को उसके परिवार में सभी प्यार देते थे | दूसरी ओर पारस का न तो पढ़ाई में मन लगता था न ही घर के कामों में I पारस के दादा – दादी का प्यारा और लाड़ला होने के कारण ही वह जिद्दी होता चला गया I पारस पर किसी की भी बात का कोई असर नहीं होता था I इसी के चलते घर में पारस को न ही सम्मान मिलता और न ही प्यार I
पारस के पिता सरकारी दफ्तर में चपरासी के पद पर कार्यरत थे I वे नहीं चाहते थे कि उनका बेटा उनकी तरह चपरासी बने I किन्तु उनके द्वारा किये गए प्रयास नाकाफ़ी रहे और आये दिन की झिड़कियों से परेशान होकर पारस पहले से भी ज्यादा जिद्दी होता चला गया I पारस के पिता पारस के मोबाइल के आवश्यकता से ज्यादा उपयोग करने पर भी आये दिन उसे डांट देते थे I कभी – कभी तो उसे नालायक भी कह दिया करते थे I
पारस को यू ट्यूब पर वीडियो देखने का बहुत शौक था I घर के लोग उसकी इस आदत से भी परेशान थे I
एक दिन की बात है I पारस किसी बात से नाराज़ होकर घर से दूर सड़क पर बने पुल की रेलिंग पर बैठ जाता है I अचानक उसे कुछ लोगों के धीरे – धीरे बात करने की आवाज सुनाई देती है I पारस पुल के दूसरी ओर छुपकर उनकी बातें सुनने की कोशिश करता है तो उसे पता चलता है कि वे लोग शहर में आतंकी गतिविधि की योजना बना रहे हैं I पारस धीरे से वहां से कुछ दूरी पर जाकर उनकी गतिविधि पर नज़र रखने लगता है और पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दे देता है I
जब तक पुलिस वहां पहुचती है वे सभी आतंकवादी वहां से निकलकर घटना को अंजाम देने के लिए चल पड़ते हैं I किन्तु पुलिस को अचानक देख दो आतंकवादी अपने आपको बम से उड़ा देते हैं और बाकी दो भागने का प्रयास करते हैं तो पारस उनका पीछा करता है वह एक आतंकवादी को दबोच लेता है किन्तु वह खुद को घायल होने से नहीं बचा पाता और आतंकवादी के चाकू का वार उसकी एक बाजू को चीर देता है I इस हालत में भी वह उस आतंकवादी को पकड़े रहता है और दूसरे आतंकवादी को पुलिस अपनी गोली से घायल कर देती है I
पारस को तुरंत शहर के बड़े अस्पताल ले जाया जाता है I चूंकि खून ज्यादा बह चुका होता है I पारस के साहस की घटना सभी चैनल का हिस्सा हो जाती हैं I घर वाले भी भागकर अस्पताल पहुँच जाते है और पारस की इस बहादुरी के लिए उसे ढेर सारा आशीर्वाद देते हैं I और उसके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं I भारत सरकार की ओर से पारस को सेना में विशेष पद देकर सम्मानित किया जाता है किन्तु एक शर्त होती है कि वह बारहवीं की पढ़ाई कम से कम 60% अंक से पास करे I तब तक सरकार की ओर से उसे प्रतिमाह 25000 रुपये दिए जाते रहेंगे I
सारा परिवार पारस की इस उपलब्धि पर खुश है और पारस भी I शहर में आयोजित किये जाने वाले विशेष कार्यक्रमों में पारस को विशेष अतिथि के रूप में बुलाया जाने लगा और उसकी बहादुरी के किस्से बच्चों को प्रेरित करने लगे I एक बार एक स्कूल के कार्यक्रम में एक बच्चे ने पारस से पूछ लिया कि आपके भीतर ऐसा साहस कहाँ से आया तो पारस ने जवाब दिया कि मुझे यू ट्यूब पर सैनिकों की बहादुरी के किस्से देखना अच्छा लगता था और मैंने प्रण किया था कि एक दिन मैं अपने देश के लिए कुछ न कुछ अवश्य करूंगा और दूसरी बात यह कि मैं अपने नाम के साथ लगे “नालायक” टाइटल को भी मिटाना चाहता था जो मेरे पिताजी कभी – कभी मुझे गुस्से में कह दिया करते थे I
अब पारस ने बारहवीं की शिक्षा पास कर ली थी और अब वह भारतीय सेना का हिस्सा बनकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा था I
आज पारस सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया था और परिवार के लिए भी I
कहानीकार -
अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"