Monday, 14 December 2015

बात मेरी मान लो - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता ( पुस्तकालय अध्यक्ष) केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का


बात मेरी मान लो मेरे प्यारे बच्चों तुम जिन्दगी तुम्हारी यूं ही संवर जायेगी
बात मेरी मान लो मेरे प्यारे बच्चों तुम जिन्दगी तुम्हारी यूं ही संवर जायेगी
समय पर जागोगे समय पर पढोगे  तो अच्छे नम्बरों से पास हो जाओगे
माता पिता तुम्हारे आशीर्वाद देंगे तुम्हें शहर में अपने तुम जाने जाओगे
बात मेरी मान लो मेरे प्यारे बच्चों तुम जिन्दगी तुम्हारी यूं ही संवर जायेगी
समय पर जागोगे समय पर खेलोगे तो तन और मन प्रसन्न हो जाएगा
जहां से भी निकलोगे स्मार्ट दिखोगे तुम सारा जहां तुमको प्रिंसे बुलाएगा
बात मेरी मान लो मेरे प्यारे बच्चों तुम जिन्दगी तुम्हारी यूं ही संवर जायेगी
अपने बड़ों का सम्मान किया जो तुमने सारा जहां तुमको गले से लगाएगा
कर्त्तव्य की वादियों में जो उतर जाओगे नाम के आगे टाइटल लग जाएगा
बात मेरी मान लो मेरे प्यारे बच्चों तुम जिन्दगी तुम्हारी यूं ही संवर जायेगी
सत्य की वादियों में जो उतर जाओगे तो जग में तुम्हारा नाम हो जाएगा
अपने गुरु का  सम्मान  किया जो तुमने सारा जग तुम्हारे अधीन हो जाएगा
बात मेरी मान लो मेरे प्यारे बच्चों तुम जिन्दगी तुम्हारी यूं ही संवर जायेगी

द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का



Sunday, 1 November 2015

एक अच्छे वक्ता के गुण - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता (पुस्तकालय अध्यक्ष) केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

एक अच्छे वक्ता के गुण

द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता
 (पुस्तकालय अध्यक्ष) 
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का 

एक अच्छा वक्ता होना एक कला है | इस कला में निपुण होने के लिए व्यक्ति का सामाजिक होना अतिआवश्यक है | मानवीय विचारों से पूर्ण मानव ही एक अच्छा वक्ता हो सकता है | एक व्यक्ति को अच्छा वक्ता होने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि वह दूसरों के विचारों को, वक्तव्यों को सुने | उनसे सुनकर वह अपने अपने वक्तव्य को विभिन्न आयामों से परिपक्व कर सकता है | अच्छे वक्कता को क्षेत्रीय भाषा के साथ – साथ अपने देश की राजभाषा में महारत हासिल करनी चाहिए ताकि भारी भीड़ में भी वह अपनी एक विशेष छाप लोगों के दिलों पर छोड़ सके |
                     एक अच्छा वक्ता होने के लिए ड्रेसिंग सेंस अतिमहत्वपूर्ण है अर्थात जिस प्रकार का कार्यक्र हो उसके अनुरूप ही आपको कपड़े पहनने चाहिए | अच्छा लुक आपके व्यक्तित्व पर चार चंद लगा सकता है | एक अच्छा वक्ता होने के लिए अच्छा श्रोता होना अतिआवश्यक है | हमारे देश में बहुत से ऐसे नेता, दार्शनिक, शिक्षाविद व चिन्तक हुए हैं जिनको हम तो क्या बाहरी देशों के लोग भी आज भी सुनना पसंद करते हैं | चाहे वह किसी भी रूप में उपलब्ध हो video या फिर अन्य किसी रूप में | इनमे विशेष रूप से महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गाँधी, अन्ना हजारे,  सुभाषचंद्र बोस , अटलबिहारी बाजपेयी, अमर्त्य सेन, विवेकानंद जैसे और भी बहुत से नेता, चिन्तक हुए हैं  जिनके विचारों को लोग आज भी सुनना चाहते हैं | इनमे से कुछ हमारे बीच आज भी मौजूद हैं और देश की युवा पीढ़ी का दिशा निर्देशन कर रहे हैं |
                     एक अच्छे वक्ता को अलंकृत भाषा के साथ – साथ साहित्यिक शब्दों का ज्ञान भी होना चाहिए | वक्तव्य को प्रस्तुत करने की भिन्न – भिन्न शैलियों का ज्ञान होना चाहिए | एक अच्छा वक्ता स्वयं को अलग – अलग अवसरों पर दिए जाने वाले वक्तव्य के लिए तैयार रखता है एक अच्छा वक्तव्य श्रोता के मन पर अमित छाप छोड़ता है | और वह श्रोता ऐसे वक्तव्य बार – बार सुनने के लिए प्रेरित करता है | एक अच्छे वक्ता में मुख्यतय निम्नलिखित गुणों का समावेश होना अतिआवश्यक है :-
1.             वक्तव्य को दैनिक जीवन के साथ जोड़कर पेश करने की क्षमता होनी चाहिए |
2.            वक्तव्य को समसामयिक घटनाओं और समाचारों से जोड़कर सन्दर्भ के रूप में पेश करना चाहिए |
3.             वक्तव्य  रोचक हो इस बात का पूरा – पूरा ध्यान रखा जाए |
4.             वक्तव्य को आरम्भ करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि वह आरम्भ में ही श्रोता को अपनी ओर आकर्षित कर सके |
5.            वक्तव्य के दौरान श्रोता को इस बात का एहसास कराते रहना चाहिए कि उसकी उपस्थिति बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है |
6.             वक्तव्य के आरम्भ में कार्यक्रम में उपस्थित माननीय सदस्यों को कुछ विशेष शब्दों के द्वारा संबोधित करना चाहिए जैसे श्रद्धेय/ परम श्रद्धेय / आदरणीय/ आदर के योग्य / परम आदरणीय / सम्माननीय/ पूज्य/ सम्माननीय व्यक्तित्व  इत्यादि – इत्यादि |
7.            कोशिश इस बात की होनी चाहिए कि वक्तव्य में विषय से हटकर कोई बात शामिल न हो जो आपको आपके विषय से भटका दे |
8.            वक्तव्य में पूर्णता लाने की कोशिश की जानी चाहिए | इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि कोई आवश्यक बात या जानकारी छूट न जाए  | वक्तव्य निष्कर्ष देने वाला होना चाहिए |
9.            वक्तव्य को तथ्य एवं विषय पर आधारित करने का पूरा – पूरा प्रयास किया जाना चाहिए |
10.        वक्तव्य में आवश्यक हो तो आंकड़े भी शामिल किये जा सकते हैं |
11.        वक्तव्य को दिल से एवं हो सके तो मस्तिस्क का पूर्ण उपयोग कर पेश करना चाहिए |
12.        वक्तव्य देने से पूर्व पक्की तैयारी कर लेनी चाहिए ताकि वक्तव्य पेश करने के दौरान किसी प्रकार की परेशानी न हो |
13.        हो सके तो वक्तव्य के दौरान संस्मरण, किसी विशेष व्यक्तित्व के जीवन से जुड़े संस्मरण, कोई महत्वपूर्ण घटना, कविता, शेर आदि का इस्तेमाल भी वक्तव्य को रोचक बनाने के लिए किया जा सकता है |
14.        मुहावरों एवं सूक्तियों का भी बेहतर इस्तेमाल वक्तव्य के दौरान किया जा सकता है |
15.        वक्तव्य में सजीवता लाने का पूरा – पूरा प्रयास किया जाना चाहिए |
16.        वक्तव्य में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि वक्तव्य का प्रस्तुतीकरण सरल, स्पष्ट एवं क्रमबद्ध हो और विचारों को आपस में एक – दूसरे के साथ जोड़कर पेश किया जाना चाहिए |
17.        आवश्यकता से अधिक शेर या कविता का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए |
18.        वक्तव्य के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाए कि विचारों की प्रस्तुति के दौरान आवश्यक नियमों का पालन हो जैसे जगह – जगह पर आरोह – अवरोह का ध्यान रखा जाए | विचारों को जोश के साथ पेश किया जाए | वक्तव्य के अंत में भी आपके भीतर जोश बना रहे और श्रोता आपकी ओर खिंचे रहें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए |
19.         वक्तव्य को पूरे जोश और उत्साह के साथ पेश किया जाना चाहिए |  वक्तव्य के दौरान किसी भी प्रकार की थकान महसूस न हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए |
20.        वक्तव्य को श्रोता के स्तर के अनुरूप तैयार किया जाना चाहिए ताकि वह श्रोता की पहुँच के भीतर हो |
21.        एक अच्छे वक्तव्य में लोकोक्तियों का भी बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है |
22.        वक्तव्य के अंत में श्रोताओं का  आपकी बात ध्यान से सुनने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया जाना चाहिए |
23.        देश के बाहर यदि आप वक्तव्य दे रहे हों तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वक्तव्य के आरम्भ में उस देश की संस्कृति के प्रति अपने लगाव को उस देश की भाषा से वक्तव्य आरम्भ कर प्रदर्शित करें |
24.        समसामयिक शब्दावली का प्रयोग करें |
25.        शब्दों का चयन श्रोताओं की आवश्यकता के अनुरूप करें |
अंत में मैं यही कहना चाहता हूँ कि उपरोक्त सभी गुणों में से कुछ ख़ास विशेष को हम यदि अपने वक्तव्य शैली का हिस्सा बना लें तो हम अपने आपको एक श्रेष्ठ वक्ता के रूप में समाज का हिस्सा बना सकते हैं | समाज में एक अलग छाप छोड़ने के लिए उपरोक्त बिंदुओं पर आप जरूर ध्यान देंगे ऐसी मेरी आप सबसे अपेक्षा है |

इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद |


                          


Wednesday, 28 October 2015

आस्तिकता ( एक विचार ) द्वारा अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

आस्तिकता

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

आस्तिक भाव का होना अर्थात परमात्मा में विश्वास होना | यह विश्वास परमात्मा के दोनों स्वरूपों में हो सकता है | चाहे वह निराकार के रूप में हो या फिर साकार रूप में | कुछ लोगों का निराकार ब्रह्म में भी विश्वास है किन्तु ऐसे सामाजिक एवं धार्मिक प्राणियों की सख्या इस धरती पर ज्यादा नहीं है | जितनी की साकार ब्रह्म में विश्वास करने वाले | विभिन्न युगों में दुनिया में अलग – अलग क्षेत्रों में जो भी असाधारण मानव हुए हैं उनके सद्कर्मों एवं धर्म की स्थापना के लिए , आदर्श स्थापना के लिए, संस्कृति व संस्कारों के सृजन के लिए , मानवता के लिए उनके द्वारा किये गए प्रयासों के आधार पर ही उन्हें असाधारण मानव या भगवान् की संज्ञा देकर उनके ऋणी होकर उनके द्वारा स्थापित सिद्धांतों का पालन करते हैं | आस्तिक भाव जागृत करने में सदियों से चले आ रहे हमारे धार्मिक ग्रंथों का भी महत्वपूर्ण योगदान है जो कि इन महान विभूतियों के सद्कर्मों के फलस्वरूप रचे गए | पीढ़ियों से चले आ रहीं परम्परायें और समाज में व्याप्त सद्चरित्र ,मनुष्य को  प्रेरित करते हैं कि वे साकार या निराकार ब्रह्म जिसमे भी श्रद्धा रखते हैं उनके सिद्धांतों को अपने जीवन का आधार बनाकर अपने कल्याण के साथ – साथ समाज कल्याण और विश्व कल्याण हित सोच सकें | धार्मिक मान्यताओं  , सिद्धांतों ने मानव को हमेशा मानव बने रहने की ओर प्रेरित किया है |

                 पूर्ण मानव हमेशा अपने आपको परमात्मा को पूर्ण रूप से समर्पित किये रहते हैं | साकार ब्रह्म में स्थिति होने से परमात्मा के साक्षात रूप के दर्शन होने संभावित हो जाते हैं | जबकि निराकार ब्रह्म में परमात्म तत्व किस रूप में अपना साक्षात्कार कराते हैं इसका भान होना थोड़ा कठिन होता है | वैसे तो हम सब यही मानते हैं कि परमात्म तत्व सभी प्राणियों के ह्रदय में स्थित होता है | वह किस रूप में , कब, कहाँ एक असाधारण मानव के रूप में स्वयं का आभास कराये यह कहा नहीं जा सकता | मनुष्य  या तो अपने पिछले जन्म के कर्म के फलस्वरूप अधोगति को प्राप्त होता है या फिर वर्तमान जन्म के कर्मों के फलस्वरूप जो कि पूर्व जन्म के कर्मों से प्रभावित होकर किये जाते हैं जिसका मनुष्य को ज्ञान नहीं होता | मनुष्य को चाहिए कि वह संयमशील हो, कर्तव्यपरायण हो, धार्मिक संस्कारों से परिपूर्ण हो , स्वयं के उद्धार हित कर्म करे | साथ ही मानव कल्याण, समाज कल्याण व राष्ट्र कल्याण हित कार्य करे | आस्तिकता मनुष्य को परमात्मा से जोडती है | मनुष्य सद्कर्मों के माध्यम से स्वयं को बन्धनों से मुक्त कर परमात्मा की ओर मुखरित करता है | और उस परमात्मा की कृपा का पात्र होकर अपने जीवन को चरितार्थ करता है और सामाजिक प्राणी के रूप में स्वयं को प्रतिष्ठित करता है | आस्तिक विचारों से परिपूर्ण मानव , समाज में आदर्श स्थापित करते हैं | इनके विचारों से प्रेरित होकर अन्य मनुष्य स्वयं को भी इसी मार्ग पर प्रस्थित करने का प्रयास करते हैं | आस्तिकता से परिपूर्ण चरित्र समाज के लिए प्रेरणा का कार्य करते हैं | आस्तिक भाव से पूरी तरह से समर्पित चरित्र कुछ ख़ास लक्षणों से युक्त जीवन जीते हैं | जैसे सत्य भाषण , अहिंसा परमो धर्म, सधाचार, धर्म के लिए कष्ट सहन करना , जीवन पर्यंत सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत का पालन करना, प्राणियों के कल्याणनार्थ कार्य करना , भक्ति में लीं रहना, समाज कल्याण हित कार्य करना, धर्म हित कार्य करना आदि | वर्तमान आधुनिक परिस्थितियों में ऐसे चरित्र ढूंढना समुद्र में से मोती ढूंढना के बराबर है |  आज के असामाजिक परिवेश में स्वयं को आस्तिकता से परिपूर्ण कर ही हम अपना इस संसार से उद्धार कर सकते हैं | आस्तिकता ही मुक्ति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है |   

Title Drawing competition - Class - VIII( Library Activity) KV Fazilka


By Aditya 


By Ankit 




By Dolly 





By Mehakpreet Kaur 


By Roshni 




By Sanampreet 





By  Vasu Gupta