Tuesday, 25 April 2017

एक आदर्श नागरिक (निबंध) - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

एक आदर्श नागरिक
निबंध

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

किसी भी राष्ट्र को उसकी प्राकृतिक , ओद्योगिक सम्पन्नता या ऐतिहासिक विरासत के आधार पर महान नहीं कह सकते | कोई भी राष्ट्र महान बनता है तो केवल अपने देश की संस्कृति एवं संस्कारों से पोषित विचारों से जो उस देश की जनता के दिलों में बसता है | आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में तीन प्रकार के देश हमारी जानकारी में आते हैं वे हैं  - विकसित , विकासशील एवं अविकसित | इसे उस देश की घरेलू सकल उत्पाद के आधार पर तीन स्तरों में विभाजित किया जाता है | किसी भी राष्ट्र की सबसे मुख्य पूँजी उस देश का नागरिक होता है और नागरिक भी वह जो आदर्शों , संस्कृति एवं संस्कारों से पूरी तरह से सुसज्जित हो | अतः प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह सबसे पहले अपने देश से प्यार करने क ज़ज्बा अपने भीतर पैदा करे | अपने सभी कर्तव्यों में वह अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को सर्वोपरि समझे और इसके लिए वह अपने दिल में पूर्ण समर्पण की भावना पैदा करें |
                              देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होना चाहिए कि वह अपने देश के प्रत्येक नियम को पूर्ण श्रद्धा एवं सम्मान के साथ शिरोधार्य करे | उसे अपने अधिकारों का तो ज्ञान हो ही साथ ही उसे अपने सभी प्रकार के कर्तव्यों की पूरी  - पूरी जानकारी होनी चाहिए | उसे इस बात का एहसास होना चाहिए कि वह अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों दोनों के साथ न्याय कर सके | सबसे बड़ी आवश्यकता तो यह है कि प्रत्येक नागरिक अपना आचार  - विचार उच्च कोटि का रखे साथ ही वह ऐसे किसी कृत्य शामिल न हो जिससे उसकी स्वयं की छवि और देश की छवि पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़े उसे ऐसे सभी कृत्यों से घृणा करनी चाहिए और अपने देश का एक सच्चा नागरिक होते हुए अपने सभी प्रकार के कर (टैक्स) समय पर जमा करने चाहिए | एक आदर्श नागरिक वह होता है जो कि  नैतिक एवं सामाजिक अवमूल्यानों को रोकने में अपने देश का पूरा – पूरा साथ देता है | उसके मन में हर समय देश ही सर्वोपरि होता है |
                              एक आदर्श नागरिक का यह पूर्ण प्रयास होता है ऍम संस्कारों का सम्मान कर सके | वह अपने जीवन में भी कोशिश करता है कि ऐसे जीवन मूल्यों का अपने बच्चों एवं समाज के माध्यम से संचार कर सके जो उसे राष्ट्र की धरोहर साबित कर सके | वह अपने धर्म ग्रंथों में वर्णित सद्विचारों से स्वयं को प्रेरित करता है | बड़ों का सम्मान अपने कार्य के प्रतिउ निष्ठा ये उसके वास्तविक गुण होते हैं | उसके जीवन सद्विचारों से पुष्पित होता है | वह स्वयं को मानवता अकी राह पर समर्पित कर देता है | वह केवल सुकर्मों की ओर अग्रसर होता है | उसकी निगाह में सभी मनुष्य , सभी धर्म समान होते हैं |  वह किसी में भेद नहीं करता | वह सभी भाषाओं को आदर देता है |
 वह क्षेत्रीयवाद में विश्वास नहीं करता | उसके लिए व्यक्ति क चरित्र महत्वपूर्ण होता है न कि जाति , धर्म एवं रंग रूप | उसके मन में हमेशा भाईचारे की भावना निवास करती है | उसे उस परमेश्वर और उसकी संतान पर भरोसा होता है | वह स्वयं को इस तरह से तैयार करता है जिससे दूसरे लोग उसका अनुसरण कर सकें और राष्ट हित में अपना योगदान दे सकें | उसका हमेशा यह प्रयास होता है कि हमें हमारे आसपास की हर एक वस्तु से प्यार करना चाहिए और “जियो एवं दूसरों को भी जीने दो “ इस भावना से कार्य करना चाहिए |
                              एक श्रेष्ठ नागरिक हमेशा की कोशिश करता है कि सरकार द्वारा डी गयी मूलभूत सुविधाओं का दुरपयोग न हो | हम अपने देश की संपत्ति को बचाने में अपना योगदान दे सकें | एक श्रेष्ठ नागरिक मानवतावादी विचारों से पोषित होता है | वह संकीर्ण विचारों से स्वयं को दूषित नहीं करता | उसका यह प्रयास होता है कि वह जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद कर सके | वह मानव कल्याण के लिए सभी प्रयास करता है | स्वयं को अभाव में रखकर भी दूसरों को सुख देने का प्रयास करता है | ऐसे चरित्र राष्ट्र की वास्तविक धरोहर होते हैं | वर्तमान सामाजिक परिवेश में ऐसे चरित्रों को समाज और राष्ट्र की ओर से सम्मानित किया जाना चाहिए | इनका अभिनन्दन होना चाहिए ताकि दूसरे नागरिक भी इनसे प्रेरणा ले सकें | और स्वयं को श्रेष्ठ नागरिक के रूप में स्थापित कर सकें | किसी भी देश का नागरिक वह चाहे वैज्ञानिक, उद्योगपति, डॉक्टर, वकील , अधिकारी , मंत्री या फिर कोई भी और क्यों न हो उनका किसी पद पर आसीन होना ही उनके श्रेष्ठ नागरिक होने को साबित नहीं करता | अपितु उन्हें उस पद पर रहते हुए अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना ही उन्हें श्रेष्ठ नागरिक की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है | अपने पद का दुरूपयोग न करना एवं राष्ट्र हित कार्य करना ही एक श्रेष्ठ नागरिक क मुख्य कर्तव्य होता है |
                                    एक श्रेष्ठ नागरिक अपने धर्म के साथ  - साथ अपने राष्ट्र को सर्वोपरि समझता है | वह हमेशा यह प्रयास करता है कि किसी के स्वाभिमान को ठेस न पहुंचे | उसके प्रत्येक प्रयास उसके स्वयं के विकास के साथ  - साथ राष्ट्र के लिए भी होते हैं | स्वयं को कष्ट देकर भी वह समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनना चाहता है | हमारे भारत देश को आजाद कराने वाले सभी क्रांतिवीर , राजनेता, शिक्षाविद , दार्शनिक आदि सभी किसी न किसी रूप में एक श्रेष्ठ नागरिक ही थे | जिनके नाम पर हम आज जयंती या फिर पुण्यतिथि मनाते हैं | उनके प्रयास असाधारण थे , अनूठे थे | उनके नाम से हम आज की पीढ़ी को संस्कार एवं आदर्श का पाठ पढ़ाते हैं |  हम रानी लक्ष्मीबाई से शुरू कर महात्मा गाँधी, लाला लाजपत राय , सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरु, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु , इंदिरा गाँधी, लालबहादुर शास्त्री, राजीव गाँधी जैसे अनेक व्यक्तित्वों को श्रेष्ठ नागरिक के सम्मान के सर्वोच्च आसन पर बैठा सकते हैं | अपने देश के नाम को विश्व स्तर पर सम्मान प्रदान करने वाले हर एक नागरिक को हम श्रेष्ठ नागरिक कह सकते हैं | ईमानदारी से कार्य करने वाला प्रत्येक नागरिक श्रेष्ठ नागरिक होता है फिर चाहे वह सफाई कर्मी हो, शिक्षक हो या फिर कोई प्रशासक |
                        एक श्रेष्ठ नागरिक मुख्यतया निम्न चारित्रिक विशेषताओं को धारण करता है : -
·         सदाचारी
·         सबल
·         अहिंसा को धर्म समझने वाला
·         स्वाभिमानी
·         आदर्शवान
·         सुसंस्कृत
·         संस्कारी
·         सचरित्र
·         सामाजिक
·         राष्ट्र भक्त
·         उपकारी
·         संविधान के प्रति सम्मान
·         न्यायपालिका में विश्वास
·         कर्तव्य परायण

                     इस प्रकार हम देखते हैं कि एक श्रेष्ठ नागरिक होना स्वयं में गर्व की बात है | हम स्वयं के साथ  - साथ समाज और राष्ट्र को विकास के पथ पर आगे ले जाएँ यही हमारे जीवन का ध्येय होना चाहिए | हम स्वयं को दूसरों के लिए आदर्श के रूप में स्थापित करें यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए | हम स्वयं को एक श्रेष्ठ नागरिक के रूप में तो स्थापित करें ही साथ ही आने वाली पीढ़ी को भी इस हेतु प्रेरित करें यह हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए |


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