सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जगाकर तो देख
सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जागाकर तो देख
खुद को इस देश की , जागीर बनाकर तो देख
यूं ही नहीं रोशन होता ज़ज्बा , देश पर मर मिटने का
एक बार खुद को , देश पर लुटाकर तो देख
लगते हर बरस मेले , माँ के सपूतों की कब्र पर
एक बार ही सही देश के , दुश्मनों से आँख मिलाकर तो देख
रोशन होगा तेरा नाम , रोशन होगी शख्सियत तेरी
एक बार तो देश पर , कुर्बान होकर तो देख
वतन परस्ती का ज़ज्बा , दिल में कर रोशन
जिन्दगी का हर पल , मादरे वतन पर लुटाकर तो देख
कुछ गीत लिखो , मादरे वतन की आन और शान पर
अपनी कलम की खुशबू से , इस वतन को रोशन कर देख
वतन के दुश्मनों को सिखाना है दुश्मनी का सबक
इस ज़ज्बे से हर पल , जिन्दगी का सराबोर करके तो देख
सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जागाकर तो देख
खुद को इस देश की , जागीर बनाकर तो देख
द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता