Wednesday, 14 May 2025

चिम्पू जी की योगा क्लास – कहानी - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

 चिम्पू जी की योगा क्लास – कहानी

                                      चंपकवन की शान माने जाने वाला चिम्पू हिरण एक पेशेवर योगा शिक्षक था | उसकी योगा क्लास की ख्याति आसपास के जंगलों में भी थी | अपनी शारीरिक समस्याओं को लेकर भी आसपास के जंगलों से भी जानवर चिम्पू हिरण के स्वास्थ्य केंद्र आया करते थे | चिम्पू हिरण सभी से बहुत ही मृदु भाषा में बात किया करता था जिसके कारण सभी जानवरों को अपने समस्याएँ बहुत ही छोटी महसूस हुआ करती थी और वे खुद को तरोताजा और खुश मह्सूस किया करते थे | योगा के लगभग सभी आसनों के साथ – साथ चिम्पू हिरण को ज्यादातर बीमारियों के इलाज़ की भी अच्छी – खासी जानकारी थी या यूं कहें कि उसे महारत हासिल थी | चिम्पू हिरण को सभी आसनों से होने वाले लाभ के साथ – साथ यह भी जानकारी थी कि कौन सा आसन कब करना है और कैसे करना है ताकि सभी को उसका पूरा – पूरा लाभ मिल सके |
                                              इसी चंपकवन में एक चिपलू बिलौटा रहता था | एक दिन चिपलू बिलौटा भी चिम्पू हिरण के पास अपनी समस्या लेकर आया और उसने अपनी समस्या चिम्पू हिरण को बतायी | चिम्पू हिरण ने चिपलू बिलौटे की नब्ज़ देखी और उसे कुछ आसन बताये और कहा कि उसे यहीं पर रहकर ये आसन उसकी निगरानी में करने होंगे और साथ ही कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी लेनी होंगी ताकि वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाए | चिपलू बिलौटा कुछ दिन चिम्पू हिरण के ही स्वास्थ्य केंद्र में रहा | उसके बाद एक दिन वह वहां से अचानक गायब हो गया और पूरे जंगल में यह खबर फैला दी कि मुझे चिम्पू हिरण के इलाज और योगा आसनों से कुछ भी लाभ नहीं हुआ और उसकी तबीयत पहले से भी ज्यादा ख़राब हो गयी |
यह खबर जंगल में और आसपास के जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी | चिम्पू हिरण को यह सब सुनकर बड़ा ही दुःख हुआ | किन्तु उसने इस बात को ज्यादा तूल न देते हुए इसके शीघ्र निवारण के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया और जंगल के राजा झबरू शेर से जाकर कहा कि चिपलू बिलौटा मेरे पेशे को लेकर गलत खबर फैला रहा है | आपसे अनुरोध है कि उसे रोकिये और सही फैसला सुनाइये ताकि दूसरे बीमार जानवर मेरे इलाज़ और आसनों के लाभ से वंचित न हों |
                                                      जंगल के राजा झबरू शेर ने अगले दिन जंगल में सभा का आयोजन किया ताकि चिम्पू हिरण और चिपलू बिलौटे की बात सुनी जाए और इस मसले का शीघ्र निपटारा किया जाए | सभा का आयोजन किया गया एक ओर चिम्पू हिरण तो दूसरी ओर चिपलू बिलौटा खड़े थे | जंगल के राजा झबरू शेर ने सभा की कारवाई शुरू करने को कहा | सबसे पहले चिपलू बिलौटे की बात सुन गयी और उसके बाद चिम्पू हिरण की बात सुनी गयी | दोनों की बात सुनने के बाद झबरू शेर कोई फैसला लेने की स्थिति में नहीं था सो उसने सबसे पहले चिपलू बिलौटे से पूछा कि जब तुम चिम्पू हिरण के स्वास्थ्य केंद्र आये थे तब तुम्हें क्या बीमारी थी | इसके जवाब में चिपलू बिलौटे ने कहा कि मुझे सांस की बीमारी थी | किन्तु चिम्पू हिरण ने कहा कि इसे सांस की बीमारी नहीं थी अपितु इसे कैंसर की बीमारी थी जिसे मैंने योगा के आसनों और आयुर्वेदिक दवाओं से ठीक किया | एक बात और कि मेरे स्वास्थ्य में केंद्र आने के एक सप्ताह पहले जंगल में पंद्रह किलोमीटर की मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया था जिसमे इस चिपलू बिलौटे ने भी भाग लिया था | यदि ये सांस की बीमारी से पीड़ित होता तो उस दौड़ में भाग कैसे ले सकता था | ऐसा कहते ही झबरू शेर को चिम्पू हिरण की बात ठीक लगी | अब तो चिपलू बिलौटा घबराने लगा और उसे लगा कि वह अब और ज्यादा झूठ नहीं बोल सकता |
                                                               इसके बाद चिपलू बिलौटे से बताया कि इसी जंगल के ज्यादातर जानवर मुझे पसंद नहीं करते थे और मुझे नासमझ और हर एक बात पर बेवकूफ कहा करते थे जिसके कारण मुझे अपने आप से भी घृणा होने लगी | इसी बीच मुझे चंपकवन के ही एक जानवर मोनू बंदर से मिलने का मौका मिला | मोनू बंदर की बातों ने मुझमे साहस और ऊर्जा का संचार किया उसने ही मुझे बताया कि तुम इस जंगल के सबसे समझदार जानवर हो | फिर क्या था मैं उसकी बातों में आ गया और उसने ही मुझे चिम्पू हिरण के स्वास्थ्य केंद्र जाने और झूठ बोलने के लिए प्रेरित किया | मुझे नहीं पता था कि वह मेरा इस्तेमाल चिम्पू हिरण को बदनाम करने के लिए कर रहा है | इसके बाद मोनू बंदर को सभा में बुलाया गया और उससे कड़ाई के साथ पूछा गया तो उसने बताया कि उसे चिम्पू हिरण की लोकप्रियता रास नहीं आ रही थी और वह चाहता था कि किसी तरह से चिम्पू हिरण का स्वास्थ्य केंद्र बंद हो जाए और उसके बाद वह खुद का एक स्वास्थ्य केंद्र खोल सके |
                                          चिपलू बिलौटे को अपने आप पर शर्म आ रही थी कि क्यों चम्पकवन के लोगे उसे बेवकूफ कहते थे शयद वे ठीक कहते थे | दूसरी ओर मोनू बंदर भी अपने आपको कोस रहा था | झबरू शेर ने दोनों चिपलू बिलौटे और मोनू बंदर को चिम्पू हिरण के स्वास्थ्य केंद्र में अगले छः माह तक मरीजों की सेवा करने की सजा सुनाई | जिसे दोनों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया | जंगल के सभी जानवर जंगल के राजा झबरू शेर के फैसले से बहुत खुश हुए | अब पहले की तरह ही चिम्पू हिरण का स्वास्थ्य केंद्र लोगों की सेवा करने लगा |


अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

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