Monday, 28 October 2013

उतरो उस धरा पर

उतरो उस धरा पर
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो

खिलो फूल बनकर
जहां खुशबुओं का डेरा हो

चमको कुछ इस तरह
जिस तरह तारे चमकें
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो

न्योछावर उस धरा पर
जहां शहीदों का फेरा हो
उतरो उस धरा पर
जहां सत्कर्म का निवास हो

खिलो उस बाग में
जहां खुशबुओं की आस हो
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो

बनाओ आदर्शों को सीढ़ी
खिलाओ जीवन पुष्प
राह अग्रसर हो उस ओर
जहां मूल्यों का सवेरा हो
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो

खिले बचपन खिले यौवन
संस्कारों का ऐसा मेला हो
संस्कृति पुष्पित हो गली- गली
ऐसा हर घर में मेला हो

उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो

प्रकृति का ऐसा यौवन हो
हरियाली सबका जीवन हो
सुनामी, भूकंप, बाढ़ से बचे रहें हम
आओ प्रकृति का श्रृंगार करें हम

उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो

अनिल कुमार गुप्ता 
पुस्तकालय अध्यक्ष 
केन्द्रीय विद्यालय फाजिल्का 








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