उतरो उस धरा पर
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो
खिलो फूल बनकर
जहां खुशबुओं का डेरा
हो
चमको कुछ इस तरह
जिस तरह तारे चमकें
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो
न्योछावर उस धरा पर
जहां शहीदों का फेरा हो
उतरो उस धरा पर
जहां सत्कर्म का निवास
हो
खिलो उस बाग में
जहां खुशबुओं की आस हो
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो
बनाओ आदर्शों को सीढ़ी
खिलाओ जीवन पुष्प
राह अग्रसर हो उस ओर
जहां मूल्यों का सवेरा
हो
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो
खिले बचपन खिले यौवन
संस्कारों का ऐसा मेला
हो
संस्कृति पुष्पित हो
गली- गली
ऐसा हर घर में मेला हो
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो
प्रकृति का ऐसा यौवन हो
हरियाली सबका जीवन हो
सुनामी, भूकंप, बाढ़ से
बचे रहें हम
आओ प्रकृति का श्रृंगार
करें हम
उतरो उस धरा पर
जहां चाँद का बसेरा हो
अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केन्द्रीय विद्यालय फाजिल्का
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