हे युवा
तुम अब तो जागो
हे युवा तुम अब तो जागो
हे शक्तिपुंज अब तो जागो
नवयुग का अब तो सृजन करो
मनुष्यता का अब तो गठन करो
करो अब तुम विश्व कल्याण
अपनाओ मन आध्यात्म ज्ञान
निज हित को तुम परहित छोड़ो
आत्म तत्व से परिचय जोड़ो
हे मानव शक्ति अब जागो
सत्य , शिवम् , सुन्दरम तुम धारो
काम , क्रोध , मद , लोभ तुम छोड़ो
सामाजिकता से नाता जोड़ो
भीतर के शत्रु को मारो
परहित जीवन को तुम तारो
हे युगपुरुष अब तो जागो
देश हित तुम जीवन त्यागो
करो नयी सुबह का फेरा
मुस्काये हर सुबह सवेरा
राष्ट्र समर्पण अब तुम जागो
माँ धरती के तुम रखवालों
हे संकल्प प्रिय अब तुम जागो
देश प्रेम की ज्योति जगा दो
हे नवयुवक तुम अब जागो
इस धरणी को अब तो तारो
माँ सलिला के चरण पखारो
जय सुरसरी , भागीरथी उचारो
विश्व बंधुत्व का नारा देकर
सब धर्मों के मन्त्र उचारो
हे युवा अब तो तुम जागो
हे शक्तिपुंज
अब जागो अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष के वी फाजिल्का
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