Monday 27 January 2014

समय प्रबंधन : सफलता की प्रथम सीढ़ी

समय प्रबंधन : सफलता की प्रथम सीढ़ी




द्वारा:- अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय
बी एस ऍफ़ रामपुरा (फाजिल्का)



भूमिका :-  समय प्रबंधन जीवन प्रबंधन का एक अहम् हिस्सा माना जाता है | “समय” जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है | समय को हम सीमा में नहीं बाँध सकते परन्तु समयानुसार अपने आपको व्यवस्थित कर आसमान को छूने की कल्पना जरूर कर सकते हैं | समय की बर्बादी हमारे जीवन को अव्यवस्थित तो करती ही है साथ ये हमारे सपनों, हमारी मंजिल , हमारी आशाओं के मार्ग में बाधक भी सिद्ध होती है | समय को अपने सपनों के अनुकूल बनाने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है समय का समुचित उपयोग | इस हेतु यह आवश्यक हो जाता है कि छात्र जीवन में ही नहीं अपितु उम्र के हर पड़ाव में हम अपनी दैनिक दिनचर्या की एक सारणी बना लें और उसी के अनुसार हम अपनी दैनिक जीवन की सभी गतिविधियों को संपन्न करैं | इसका सबसे अच्छा फायदा तो यह हो सकता है कि हमारे द्वारा किये जाने वाले कार्यों के हमें हमारी आशानुरूप परिणाम प्राप्त हो सकते हैं |
                     जीवन जीने की कला में समय का सदुपयोग या समय प्रबंधन विशेष भूमिका निभाता है | वर्तमान परिस्थितियाँ जहां हर एक व्यक्ति किसी न किसी तरह के शारीरिक या मानसिक तनाव से गुजर रहा है वहां “जीने की कला” ( Art of Living) की ओर मनुष्य का आकर्षण बढ़ रहा है | वर्तमान परिस्थितियों ने मानव को स्वयं के लिए समय के अभाव की स्थिति पैदा कर दी है इसका मुख्य कारण समय प्रबंधन के प्रति लोगों में जागरूकता का न होना है | समय प्रबंधन को गतिविधियों के प्रबंधन की भी संज्ञा दी जा सकती है |
                प्रत्येक मनुष्य जीवन में उंचाइयां छूना चाहता है वह अपने आपको समाज में उच्च मुकाम पर स्थापित करना चाहता है चाहे वह किसी भी भूमिका में रहे एक प्रशासनिक अधिकारी , एक अच्छा व्यापारी , एक सर्वश्रेस्थ निर्देशक या फिर कोई और | इस उद्देश्य की प्राप्ति की ओर तो हर एक को लालसा होती है पर वह यह नहीं जानता कि हम इन उद्देश्यों की प्राप्ति का मार्ग कितना दुर्गम है , कठिनाईयों भरा है | यह पता ही नहीं होता कि जीवन को व्यवस्थित कर ही हम इन मंजिलों को प्राप्त कर सकते हैं | जीवन व्यवस्थित होता है समय प्रबंधन के साथ | यही एक मात्र साधन है जो मनुष्य को उसके उद्देश्यों की ओर प्रस्थित करता है | आज के युवा पीढ़ी की एक सबसे बड़ी समस्या है , कम प्रयास कर , कम समय में अधिकतम फल प्राप्ति का सपना देखना या फिर हम कह सकते हैं शॉर्टकट के माध्यम से अपने उद्देश्यों की पूर्ति करना |  यह मार्ग मनुष्य को केवल गर्त की ओर ले जाता है इस मार्ग को अपनाकर मनुष्य स्वयं से धोखा करता है साथ ही वह यह भूल जाता है कि जो मार्ग उसने चुना है वह सही है या फिर गलत |
                समय के सुप्रबंधन को सामान्य अर्थ में हम कह सकते हैं कम से कम समय में अधिक से अधिक कार्यों को पूर्ण करना | इसका आशय हम यह निकाल सकते हैं कि हम जिन कार्यों को समय सीमा में बाँध कर चलते हैं उनको सुनियोजित तरीके से पूरा करना ताकि कार्यों के अंत के परिणाम हमारी आशाओं के अनुरूप आ सकें |
                     कार्यों को समयावधि भीतर जल्दी से निपटाना हानिकारक हो सकता है कार्य को निपटाते समय हो सकता है कि हम यह भूल बैठें कि कार्य को पूर्ण करने की प्रक्रिया ठीक तरीके से अपनाई गयी भी या नहीं |इसके कारण वांछित परिणाम प्राप्त करना मुश्किल होता है | समय प्रबंधन का अभाव हमारे भीतर कार्य को या निर्णय को टालने की प्रवृति जागृत करता है धीरे – धीरे हम आलसी होते जाते हैं या कह सकते हैं हम दीर्धसूत्री होते जाते हैं जो हमें हमारे उद्देश्यों से हमें भटका सकता हैं | समय प्रबंधन अनावश्यक समय बर्बादी को रोकता है साथ ही यह कार्य हेतु किये गए प्रयासों को व्यर्थ नहीं होने देता | समय प्रबंधन सफलता की गारंटी माना जाता है |
                समय प्रबंधन के एक मुख्य कड़ी हो सकती है हमारे आसपास के सहयोगी | हमारे समय प्रबंधन का ये सभी हिस्सा हों तो कम से कम समय में हम अधिक से अधिक कार्यों या निर्णयों को सफलतापूर्वक संचालित कर सकते हैं | इस प्रक्रिया की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारा हमारे सहयोगियों के प्रति रवैया कैसा है ? क्या हम उन्हें निर्णयों या कार्यों में शामिल कर सकते हैं ? क्या वे उस कार्य हेतु योग्य व सक्षम हैं ? और  क्या हम उन पर विश्वास कर सकते हैं ?        
                सहयोगियों का साथ सफलता का सूचक बन सकता है प्रत्येक सफल प्रयास के बाद हमारा यह कर्तव्य हो जाता है कि हम उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए समय – समय पर प्रोत्साहित करते रहें , उन्हें पुरस्कृत करते रहें ताकि भविष्य में भी उनके दिलों में यही भावना विकसित होती रहे |सफलता की उड़ान स्वयं की सोच का परिणाम हो सकती है पर यह प्रयास होने चाहिए कि इस राह में जो भी आपकी सफलता में भागी बनते हैं उनको भी इसका श्रेय दिया जाए | स्वयं के प्रयास तभी फलीभूत होता है जब आप “ समय का प्रबंधन” करते हैं |यही आपकी सफलता की प्रथम सीढ़ी है, यही सफलता का सूचक है |

                        सफलता के आवश्यक तत्व

सर्वश्रेष्ठ समय प्रबंधन हेतु निम्नलिखित बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखें :-
१.      समय प्रबंधन की प्रथम सीढ़ी है – आपके पास निर्णयों की सूची तैयार करने हेतु व उसे पूरा करने की समयाविधि का विवरण हेतु एक डायरी होनी चाहिए |
२.      अपने निर्णयों में से कुछ को प्राथमिकता प्रदान करैं और उसी अनुसार योजना बनायें |
३.      अपने उद्देश्यों की पूर्ति में जब आप व्यस्त हों तो दूसरों के उद्देश्य की पूर्ति हेतु अपने अमूल्य समय को बर्बाद न कर सामने वाले व्यक्ति को सहानुभूतिपूर्वक मना करैं |
४.      अपने कार्यों की सूची बनाने के बाद उन कार्यों को अपने सहयोगियों को उनकी योग्यता व सक्षमता के आधार पर बाटें |
५.      प्रत्येक दिन के कार्यकलापों की योजना तैयार रखें व उसी अनुसार पहल करैं |
६.      कार्य के बीच में आने वाले व्यवधानों से बचें | जैसे फोन का बार – बार बजना और हो सके तो ऐसे वक़्त एकांत में जगह ढूँढकर अपने प्रयासों को अंजाम दें |
७.      खाने का पूरा – पूरा ध्यान रखें , व्यायाम करैं और पूरी नींद लें ताकि आप तरोताजा रह सकें |
८.      कार्य के बीच आप विचलित न हों और एकार्ग मन से अपने कार्य को पूरा करैं |
९.      आवश्यक हो तो अपने अधीनस्थ कर्मचारियों या सहयोगियों से सलाह लें और अपनी मंजिल प्राप्त करैं |
१०. कभी – कभी यह आवश्यक हो जाता है कि हम मानसिक या शारीरिक रूप से अपने आपको सक्षम नहीं पाते हैं तो मनोवैज्ञानिक या विशेषज्ञों की सलाह कलर इन समस्याओं का हल ढूँढें और फिर आगे की योजना को अंजाम दें |
११. प्रबंध एवं सफलता विषयों पर समय – समय पर लेख और पुस्तक पढें |
१२. प्रबंध पर हो रही कार्यशालाओं में भाग लें और नए – नए विचारों से स्वयं को अवगत करायें ताकि आप अपडेट रह सकें |
१३. प्रबंध पर हो रही शोधों का अध्ययन करैं उनके परिणामों को देखें व उन पर अमल करैं |
१४. विश्व स्तर की सफलतम विभूतियों के जेवण चरित्र व उनके प्रयासों को पढें और जानें सफल होने की सही राह क्या होती है |
१५. समय – समय पर होने वाले सर्वेक्षणों की रिपोर्ट्स का अध्ययन करैं|
१६. अपनी समय सीमा का उल्लंघन न करैं |
१७. स्वयं को समय दें और आत्म विश्लेषण करैं |
१८. यह निर्धारित करैं कि जो कार्य आप ले रहे हैं उनके उचित परिणाम आपको आगे बढ़ा रहे हैं या नहीं |
१९. किसी भी कार्य से पूर्व योजना बनायें |
२०. समय की साथ कदम से कदम मिलाकर चलें|


(लेख पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया )

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