बेहतरी
के लिए करें आत्ममूल्यांकन
स्वयं को बताएं
किसी
भी करियर को चुनने से पहले आत्ममू्ल्यांकन बहुत जरूरी है। साथ ही यह भी जानना
जरूरी है कि अपनी कमियों को दूर कर सफलता के मार्ग तक कैसे पहुंचा जा सकता है।
सफलता चुटकियों में नहीं मिल जाती और न ही सिर्फ परंपरागत रूप से एक ही तरह से काम
करने पर। योजना बनाकर उस पर अमल करना भी मायने रखता है। साथ ही जरूरत होती है
करियर के विभिन्न क्षेत्रों से जुडी पूरी जानकारी और आत्ममूल्यांकन की। अपने करियर
को सही दिशा में ले जाने के लिए खुद से पूछें यह सवाल।
1. मुझे किस चीज में दिलचस्पी है? ऐसे
कौन-से काम हैं, जिन्हें करने से मुझमें जोश आ जाता है?
2. मेरी अब तक की उपलब्धियां क्या हैं?
3. मेरे व्यक्तित्व में ऐसे कौन से गुण हैं, जिन्होंने
मेरे जीवन को सहज बनाने में मदद की है?
4. ऐसे कौन-से काम हैं, जो
स्वाभाविक रूप से मेरे लिए बेहद आसान हैं?
5. मुझमें कौन-सी योग्यताएं हैं, जो
मेरे जीवन में सफलता की संभावना को बढा सकती हैं?
6. किसी काम को करने में मुझमें जो जोश और ऊर्जा
एक दिन रहती है, वह हफ्ते व महीने भर तक काम करने में कितनी
रह जाती है?
7. मेरे सपने क्या हैं व कार्यक्षेत्र की
वास्तविक दुनिया से मैं उन्हें किस तरह से जोड सकता हूं?
8. ऐसे कौन से छोटे-छोटे काम हैं जिनमें मेरी
दिलचस्पी हमेशा से रही है? इन कामों को एक साथ कैसे जोडा जा
सकता है?
9. वर्तमान कार्यक्षेत्र से जुडी जरूरतों के
हिसाब से मेरे करियर के विकल्प कितने सही हैं?
10. मैं अपने करियर से संबंधित विकल्पों के बारे
में कितना जानकारी रखता हूं।
11. मेरी कौन सी कमजोरियां हैं? उन
कमजोरियों का मुझ पर और मेरे करियर पर क्या असर होगा?
12. मैं ऐसे कौन से उपाय अपनाऊं, जिससे
अपनी कमजोरियों से उबर सकूं?
13. मैं जो करियर चुनने जा रहा हूं उसके लिए कैसे
व्यक्तित्व की जरूरत होती है और मेरा व्यक्तित्व क्या उसके लिए सही है या नहीं?
14. क्या मैं उस क्षेत्र में जाने से पहले खुद को
परख सकता हूं?
15. अपने चयनित कार्यक्षेत्र में लंबे समय तक सफल
बने रहने के लिए मुझे किससे सहयोग मिल सकता है?
इन सवालों के बारे में सोचने के बाद आप बेहद
मूल्यवान जानकारी हासिल करेंगे। तो चलिए परीक्षण करते हैं कि इन सवालों से आपके
मूल्यांकन की जानकारी आपके लिए कितनी लाभदायक है-
रुचियों को जानें उम्र के साथ-साथ हमारी रुचियों
का दायरा बढता जाता है। हम अपने जीवन के अधिक से अधिक अनुभवों से वाकिफ हो पाते
हैं और उनमें से हम उन अनुभवों को चुन लेते हैं,
जो हमें
जोश से भर देते हैं। दरअसल, जैसे-जैसे हम आगे बढते जाते हैं, हमें
अपनी क्षमताओं और रुचियों के बारे में भी पता चलता जाता है। लेकिन छोटी उम्र में
सोच का दायरा अधिक विकसित न होने के कारण ऊहापोह की स्थिति रहती है। अकसर बडे लोग 17
साल की उम्र में ही बच्चों से पूछने लगते हैं कि उन्हें किस क्षेत्र में जाना है, किस
क्षेत्र में उनकी अधिक रुचि है। जबकि इस उम्र के विद्यार्थी अपनी रुचियों को
स्पष्ट बता पाने में समर्थ नहीं होते हैं। लेकिन अगर इस उम्र में अभिभावक अपने
बच्चे की काउंसलिंग कराएं तो उसके करियर से संबंधित बहुत सारी बातें, शंकाएं
और संभावनाएं उभर कर सामने आ जाती हैं। इस तरह बच्चे के व्यक्तित्व और उसकी
क्षमताओं का अंदाजा भी हो जाता है और क्षेत्र विशेष में जाने के लिए संकेत भी मिल
जाता है। फिर उस संकेत को दूसरे संकेतों के साथ जोड कर सही मार्गदर्शन किया जाता
है। कई बार रुचियों को थोडा घुमाकर नई दिशा मिल जाती है, जो
सफलता के मार्ग की ओर ले जाने में मदद करती है। देखना आपको है कि आपकी जो रुचियां
अभी हैं, वह आपके करियर के लिए कितनी मददगार हैं।
किस क्षेत्र में मिलीं उपलब्धियां
हम अपनी सफलताओं और विफलताओं से ही सीखते हैं।
अपनी उपलब्धियों के पैटर्न को देखकर आप यह पता कर सकते हैं कि आपको आगे किस
क्षेत्र में जाना है। जैसे कि अगर आपको आर्ट्स में रुचि है और आपकी अधिक
उपलब्धियां स्पोर्ट्स में हैं तो आपको आगे चलकर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ही चुनना
चाहिए। आपकी उपलब्धियां ही करियर के लिए मददगार होती हैं। जैसे कि आपने विज्ञान
में काफी उपलब्धियां हासिल की हैं तो आपके लिए विज्ञान क्षेत्र में बेहतर भविष्य
हो सकता है। शुरुआती दौर में उपलब्धियां कम और साधारण भी हो सकती हैं, लेकिन
छोटी-छोटी उपलब्धियों से ही आपके भीतर छिपे गुणों के बारे में पता चल सकता है, जो
आपके विकास में सहायक होगा।
व्यक्तित्व की विशेषताएं
हम जिस चीज से संतुष्ट होते हैं और जो काम करने
में सहजता महसूस करते हैं, वही बेहतर रूप से कर सकते हैं।
जिस काम को हम रुचि के साथ आनंद लेकर करते हैं,
उस काम में
सफलता मिलना मुमकिन होता है। लेकिन जो काम हमें असहज या कठिन लगते हैं, जिन्हें
करने से आत्मसंतुष्टि नहीं मिलती, उनमें सफलता मिलना आसान नहीं
होता। अगर आप अपने व्यक्तित्व के अनुकूल काम चुनती हैं तो उसे करने में आपको आनंद
भी आता है और संतुष्टि भी मिलती है। इसलिए ऐसा काम न चुनें जो आपके व्यक्तित्व के
अनुरूप न हो। उदाहरण के लिए अगर कोई ऐसी जगह साडी पहनकर चली जाए, जहां
सारे लोग वेस्टर्न ड्रेस में हों तो उसे हिचक और दिक्कत दोनों महसूस होगी। ऐसे में
वह ठीक से काम नहीं कर पाएगी और उसका पूरा ध्यान अपने परिधानों पर होगा। इसी तरह
अगर आपका कम्युनिकेशन स्किल अच्छा नहीं हैं तो मार्केटिंग के क्षेत्र में आपका
भविष्य बहुत सुनहरा नहीं होगा।
कार्य की सरलता
हममें से ज्यादातर
लोग जीवन में चुनौतियां स्वीकारना चाहते हैं। अमूमन लोग अपने एक हाथ से अधिक काम
कर पाते हैं। लेकिन अगर उन्हें चुनौती दे दी जाए तो वह भी कभी-कभी उसे पूरा करने
के लिए अपने दूसरे हाथ से भी अधिक से अधिक काम करने की कोशिश कर डालते हैं। हर कोई
यह चाहता है कि उनके रोज के काम में कोई चुनौती मिल जाए जिससे कि उन्हें काम में
बोरियत न हो और यह महसूस हो कि वह दिन-प्रतिदन अपने काम में आगे बढते जा रहे हैं।
पर अगर रोजाना के कामों में से 95 प्रतिशत काम चुनौती से भरे लगने
लगें या आप उन्हें आसानी से कर पाने में खुद को अक्षम महसूस करें तो आप थकावट और
परेशानी से भर जाएंगे। इसलिए अधिकांश कार्य ऐसे होने चाहिए जिन्हें करने में हमें
किसी प्रकार की परेशानी न हो। तभी हम उन कार्यो को सही और संतुलित ढंग से पूरा भी
कर सकेंगे। अगर हम उनमें से 52 प्रतिशत कार्य भी पूरे कर लेते
हैं, तो संतुष्टि और ताजगी महसूस करेंगे।
योग्यता स्तर को जांचें
पर्सनाल्टी फैक्टर की बात करें तो एक अच्छे
करियर के लिए सहजता बहुत जरूरी है। जो काम आप कर रहे हैं वह कितनी आसानी के साथ कर
पा रहे हैं, उसे करने में आपको कितनी सहजता महसूस हो रही
है, यह भी अहम है। यदि जो काम हम कर रहे हैं, उसके
लिए बहुत उच्च स्तर की योग्यता या निम्न स्तर की योग्यता की जरूरत है तो वह काम
लंबे समय तक नहीं किया जा सकता। आप अपनी योग्यता स्तर को जांच सकते हैं-अपने स्कूल
के परिणामों से या फिर अलग-अलग विषयों में अपनी पिछली परफॉर्मेस के हिसाब से।
एनर्जी पैटर्न
अच्छा करियर अपनाने
के लिए अपने एनर्जी पैटर्न की रूपरेखा बनाना बहुत उपयोगी साबित होगा। आज हर दूसरा
व्यक्ति यह कहते सुना जा सकता है कि मेरे पास और अधिक समय होता तो मैं काम पूरा कर
सकता था। इसलिए यह परखना जरूरी है कि कम से कम समय में आप कितना व कैसा काम कर
सकते हैं और कितनी ऊर्जा के साथ। इसके लिए एक चार्ट बनाएं- जिस काम को आप एक दिन
में जितने जोश के साथ करते हैं। उसे एक हफ्ते तक कितनी ऊर्जा के साथ करते हैं और
महीना खत्म होते-होते आपकी ऊर्जा का स्तर उस काम के लिए कितना रह जाता है। अपने
प्रतिदिन के काम को खुद से रेट दें-(1-10)। फिर एक दिन के अपने एनर्जी
पैटर्न की महीने भर के एनर्जी पैटर्न से तुलना करें। इसके परिणाम देखकर आप अपनी
ऊर्जा क्षमता को बढाने का प्रयास कर सकते हैं।
कैसे करें साकार सपने
अपने सपनों के प्रति अतिवादी नहीं होना चाहिए।
यानी एकदम जैसा सोचा है पूरी तौर पर वही हो, यह जरूरी नहीं है। जैसे आपका
सपना है नेवी में जाने का, पर हो सकता है ऐसा हो और यह भी
संभव है कि अवसर न मिल सके। पर सपने सही दिशा में ले जाने के लिए हमें संकेत अवश्य
देते हैं। अगर हम अपना साहस व प्रयत्न जारी रखें तो अपने सपनों को साकार अवश्य कर
सकते हैं। हमारा कार्यक्षेत्र कहीं न कहीं हमारे सपने से जुडा होता है। बस हमें यह
देखना है कि उसमें सफल होने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए।
आत्मविश्लेषण
बहुत कम ही ऐसा
होता है कि हम अपनी जॉब के सभी पहलुओं को पसंद या नापसंद करें। इसी तरह हम अपनी
जॉब में कुछ काम तो भरपूर जोश और आनंद के साथ करते हैं तो कुछ कामों से बचना चाहते
हैं। या फिर उन कामों को पूरा करने में हमें बहुत समय लग जाता है। बेहतर होगा कि
आप अपनी पहले वाली जॉब का विश्लेषण करें कि आपने वह किस परेशानी के कारण छोडी थी
और कहीं वर्तमान जॉब में भी वही परेशानी दोबारा नहीं हो रही है। अगर वही परेशानी
दोबारा से आ रही है तो आत्ममूल्यांकन और खुद में बदलाव लाने की जरूरत है ताकि
भविष्य में आपको किसी प्रकार की परेशानी न हो। इस तरह आप अपनी पसंद के काम को ठीक
तरह से समझकर और अपने में जरूरी बदलाव करके जॉब को लंबे समय तक कायम रख सकते हैं।
साथ ही अपना बेहतर से बेहतर काम दे सकते हैं।
विकल्प की पूरी जानकारी
चूंकि आजकल करियर
से संबंधित बाजार की स्थिति की जानकारी पाना बहुत आसान हो गया है। बाजार के बारे
में सही जानकारी होने पर हम करियर चुनते समय किसी प्रकार की गलती नहीं करते। यह अब
इतना आसान हो गया है कि किसी लाइब्रेरी में बैठकर हम एक करियर से संबंधित पूरी
जानकारी सिर्फ 15 मिनट में पा सकते हैं। एक सुनहरे भविष्य के
लिए इससे आसान निवेश और क्या हो सकता है।
सभी विकल्पों को जांचें
किसी भी करियर
विकल्प के बारे में पूरी जानकारी ले लेने के बाद अगर हमें उसमें अपनी दिलचस्पी नजर
आती है तो बेहतर होगा कि हम उस विकल्प को अच्छी तरह जांच लें। पर हमें खुद उस जगह
जाकर देखना चाहिए जहां वह विशेष कार्य होता है। इंटर्नशिप, वॉलेंटियरिंग
और डिस्कशंस ऐसे माध्यम हैं जिनके जरिये हम अपने करियर विकल्प के बारे में गहराई
से जान सकते हैं और विशेष जानकारियां भीे एकत्रित कर सकते हैं। ऐसा कदम उठाने के
बाद निर्णय लेने वाले लोगों को असफलता का मुंह नहीं देखना पडता।
विशेष चुनौतियां
अपने करियर के विकल्पों को जांचते समय ऐसी कई
चीजें हैं जो हमारी पसंद से मेल खा जाती हैं और ऐसी भी होती हैं जो मेल नहीं खाती
हैं। यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन सा पहलू अपनी पसंद से कितना मेल नहीं खाता है।
इसके लिए क्या किया जा सकता है। अगर मेल न खाने का कारण मेरे भीतर कोई कमजोरी या
मेरी व्यक्तिगत चुनौती है तो यह जानना जरूरी है कि उसे सुधारने के लिए मुझे कितने
अतिरिक्त स्त्रोत की आवश्यकता होगी। अगर मेल न खाने वाले पहलू मेल खाने वाले पहलू
से अधिक हैं तो उस क्षेत्र में जाना समझदारी की बात नहीं होगी। आगे बढने की आपकी
जो योजना है उसे समझें और फिर यह देखें कि मेल खाने वाले पहलू कितने महत्वपूर्ण
हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए आगे बढें।
व्यक्तिगत कमजोरियां
हर व्यक्ति की कमजोरियां और चुनौतियां दूसरे से
भिन्न होती हैं। इसलिए दूसरे से तुलना न करके अपनी व्यक्तिगत कमजोरियों को सुधारने
के लिए कदम उठाने चाहिए। हम सभी एक-दूसरे से भिन्न हैं। इसलिए अपनी तुलना दूसरे से
करने पर हमें सही कमजोरियों का पता नहीं लगा सकते। हमारी योजनाएं और स्थितियां
व्यक्तिगत रूप से मेल खानी चाहिए। क्योंकि हर किसी के साथ एक जैसी स्थिति नहीं
होती है। बेहतर होगा कि आप अपनी कमजोरियों को सुधारने और चुनौतियों का सामना करने
के लिए खुद को अपने तरीके से तैयार करें। कई बार हमारी कमजोरियां भी हमारे लिए
चुनौती बन जाती हैं जो हमें आगे जाकर करियर को संवारने में मदद करती हैं। इस बात
पर ध्यान देना जरूरी है कि मेरी जो कमजोरियां हैं,
वे कहीं
मेरे करियर विकल्पों पर बुरा प्रभाव तो नहीं डाल रही हैं। अगर हां तो उनका आकलन
करके उन्हें दूर करने में ही समझदारी होगी।
खुद की परख
कई बार हमारे सामने एक या कई करियर विकल्प होते
हैं। ऐसे में यह परखना भी जरूरी है कि हमारा व्यक्तित्व किस क्षेत्र के अनुकूल है।
करियर विशेष के पक्ष-विपक्ष की सूची बनाकर यह तय करें कि वह आपके लिए अनुकूल है या
नहीं। बेमेल करियर पर कभी भी विचार न करें। अगर आपका व्यक्तित्व करियर विशेष के
लिए तकरीबन 75 प्रतिशत अनुकूल है तो ही विचार करें, अन्यथा
नहीं। हम चाहते हैं कि सफलता की संभावना को अधिकतम और असफलता की आशंका को कम से कम
करें। इसके लिए खुद को परखना बेहद जरूरी है। खुद को परखने के लिए स्वयंसेवी के तौर
पर काम भी कर सकते हैं।
खुद को साबित करना
अगर हम अपने करियर विकल्प को जांच चुके हैं तो
हम उस क्षेत्र के बारे में पर्याप्त जानकारी पहले ही जुटा चुके हैं। इसलिए
कार्यक्षेत्र में प्रवेश करने में तुलनात्मक रूप से आसानी रहती है। अपनी जॉब में
बने रहने के लिए बेमेल चीजों को जानना बहुत आवश्यक है। साथ ही हमारी योजना प्रणाली
और खुद के बदलावों की पूरी जानकारी होना भी जरूरी है। यह याद रखना बेहद जरूरी है
कि जॉब के अधिकांश कामों को करने में हम समर्थ हों तथा वहां का वातावरण हमारे
अनुकूल हो।
सहयोग
आज पहले से अधिक करियर काउंसलर, थेरेपिस्ट
व कोच लोगों को उनके कार्यक्षेत्र में आगे बढने में सहायता दे रहे हैं। किसी से
सहयोग लेना कोई शर्म की बात नहीं हैं। जो काम करने में आपको कठिनाई महसूस हो रही
हो, उसे पूरा करने के लिए सहयोग लेने में कोई बुराई नहीं है।
अगर प्रतिभाशाली बास्केटबॉल खिलाडी को एक कोच की आवश्यकता होती है तो आपको क्यों
नहीं?
(करियर काउंसलर अशोक सिंह से बातचीत पर
आधारित)
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