Wednesday 17 October 2012

व्यस्तता नहीं, अर्थपूर्ण व्यस्तता आवश्यक है


व्यस्तता नहीं, अर्थपूर्ण व्यस्तता आवश्यक है
 यूँ तो आजकल हर कोई व्यस्त है । जीवन की गति से तालमेल बनाये रखने को आतुर । जीवन से भी अधिक तेज़ी से दौड़ने को बाध्य । आपाधापी इतनी कि  हम यह विचार करना भी भूल ही गए  कि जितना व्यस्त हैं , इस व्यस्तता के चलते जितना लस्त-पस्त हैं, उसकी आवश्यकता है भी या नहीं। भागे तो जा रहे हैं पर जितना स्वयं को उलझा रखा है उसका प्रतिफल क्या है ? हमारी यह व्यस्तता अर्थपूर्ण और सकारात्मक है भी या नहीं ।
 कुछ भी करके समय काट दिया जाय ऐसी व्यस्तता का तो कोई अर्थ नहीं । यह तो हम सब समझते हैं । फिर भी कई बार जाने अनजाने ऐसे कार्यों में भी लगे रहते हैं  जिनमें ऊर्जा का सदुपयोग नहीं हो पाता  । जो कि एक विचारणीय पक्ष है । हम चाहे जो भी करें।  श्रम और समय का व्यय तो होता ही है । ऐसे में जहाँ भी , जिस रूप में भी, श्रम और समय लगाया जाय उसका सकारात्मक प्रतिफल कुछ ना हो तो स्वयं को ही छलने का आभास होता है । व्यस्तता का लबादा  ओढ़ कई बार स्वयं से दूर हो जाने मार्ग चुन बैठते हैं । उचित समन्वय  के अभाव में ऊर्जा और समय का उपयोग इस तरह होने लगता है कि उसके परिणाम ऋणात्मक दिशा की ओर  मुड़  जाते हैं।
 यही वो समय होता है जब चेत जाना आवश्यक है । अपनी ऊर्जा और विचारों के प्रवाह को सही दिशा में मोड़ने के प्रयास ज़रूरी हो जाते हैं। यह जाँचने  की आवश्यकता होती है कि हम 'व्यस्त रहो मस्त रहो'  वाली कहावत के अनुरूप चल रहे हैं या तकनीकी युग में स्वयं भी किसी गैजेट के समान  व्यस्त तो बहुत हैं पर मस्त नहीं । आजकल तो  आँखें ,कान, हाथ सब व्यस्त रहते हैं।  मन मस्तिष्क को कुछ न कुछ हर पल परोस रहे हैं।   क्या सच में हम यही चाहते हैं ? हर क्षण कोई सूचना, कुछ कहना , कुछ सुनना,  फिर चाहे मन की मर्ज़ी हो या न हो ।
 इसीलिए जब भी किसी कार्य में श्रम और समय लगाया जाय उसकी एक  रूपरेखा भी बनाई जाय । कार्ययोजना का एक सतही विचार तो मन में ज़रूर होना ही चाहिए । समय और ऊर्जा के समन्वय के साथ  जीवन की प्राथमिकताओं को इस सूची में उचित स्थान देने का उपक्रम करना भी आवश्यक है । ऐसा करने के कई सारे लाभ हैं पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि ज़रूरी  काम भी समय पर होंगें और गैर -ज़रूरी कार्यों में समय और ऊर्जा की खपत भी न होगी। ऐसा करने हेतु स्वयं को सही तैयारी और सही समय के अनुसार व्यस्त रहने का अभ्यस्त करना होगा । इससे अर्थपूर्ण व्यस्तता तो रहेगी पर जीवन अस्त-व्यस्त नहीं होगा ।
स्रोत :- इन्टरनेट

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