समय
प्रबंधन का महत्व ( career
corner)
आपको
इस नियम का ज्ञान होना चाहिए कि जब काम छोटा और समय ज्यादा हो, तो
काम स्वयं को फैला लेता है। हमारे यहां एक घरेलू काम करने वाली थी वह इस नियम का
आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती थी। वह उतने ही समय में एक काम या कभी-कभी तीन-चार काम
एक साथ ही करती थी। मैंने उससे पूछा कि एेसा वह क्यों करती है। उसका उत्तर था कि
यह तरीका उसके समय बिताने का जरिया था, लेकिन सत्य यह है कि हर एक के
जीवन में काफी काम होते हैं। यह तो हम पर निर्भर करता है कि उनको किस प्रकार करें।
यह भी सच है कि आसान काम को हम शायद ज्यादा आसानी से करते हैं।
तथ्य
यह है कि यदि हम मजबूत और शक्तिशाली होना चाहते हैं, तो हमें
दृढ़निश्चयी होना ही पड़ेगा- चाहे जो भी हम करें। हममें से हर एक की कुछ धनात्मक
और ऋणात्मक प्रवृति होती ही है। कुछ लोग अपने काम में बड़े माहिर होते हैं, परंतु
थोड़े याद-भूला भी होते हैं। वे नाम और तारीखों तथा अपने प्रिय व्यक्तियों की जन्म
और विदाई की तिथियां प्राय: भूल जाते हैं। इस संदर्भ में हमें ज्यादा समय और सहृदय
होना चाहिए और यह नहीं सोचना चाहिए कि कोई भी एेसी घटना जान बूझकर हमें नीचा
दिखाने या तिरस्कार करने के लिए की गई है।
आदर्श स्थिति तो यह है कि सभी का भला सोचा जाए। कभी-कभी कटु सत्यों को
यथाशीघ्र भूल जाना ही श्रेयस्कर होता है। दरअसल, हम खुद ही
अपने बर्ताव या प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेवार होते हैं। इसलिए एेसे संदर्भों में
हमें अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए। हम इसलिए एेसी स्थितियां भुगतते हैं, क्योंकि
हम दूसरों के जाने या अनजाने में में किए गए बर्ताव के खुद ही शिकार बनना पसंद कर
सकते हैं। यदि वाकई में कोई चीज बुरी लगती है, तो हमें अपना पक्ष स्पष्टद्द कर
स्वयं को व्यक्त करने का पूरा हक है। एक बहुत श्रेष्ठ गुण है जीवन की विभिन्न
स्थितियों में राई का पहाड़ बनाने की प्रवृति से परहेज करना।
न हमें हर चीज को अपने पूर्वाग्रह युक्त
दृष्टि से देखना चाहिए और न ही सदैव-न्यायाधीश का चोला पहने रहना चाहिए। हमें
स्वयं से भी पूछना चाहिए कि क्या हमने किया या नहीं किया, जिसके
कारण यह घटना हुई या यह उक्ति सुनने को मिली। जीवन में घटने वाली हर घटना में
हममें से हर एक की जिम्मेदारी होती है, जो नकारी नहीं जा सकती। हमें
किसी भी घटना में अपनी भूमिका को संज्ञान में लेने से बचना नहीं चाहिए। जो भी हम
करते या कहते हैं, उसके बारे में हमें पूरी तरह सचेत रहना चाहिए
कि हमने क्या किया या कहा या क्या दूसरे के पास है और हमारे पास नहीं है, जिसके
कारण यह घटना या कोई घटना घटी या काण्ड हुआ।
दूसरों पर दोषारोपन करने से कुछ हासिल नहीं
होता यद्यपि ज्यादातर लोग एेसा ही करते हैं यदि आप अपनी भूमिका के बारे में पूरी
तरह सचेत होंगे,
तब
ही उसमें सुधार ला सकते हैं या किसी घटना के संदर्भ में अवांछित अक्षर अपने जीवन, परिवार
या कार्य क्षेत्र में कम या ज्यादा कर उसका प्रभाव नगण्य कर सकते हैं। हमें जागरूक
रहना चाहिए कि हम जो कुछ करते या कहते हैं, जीवन में उसका प्रभाव होता है।
जीवन एक एेसा क्षेत्र है, जिसमें हम अनुभव और जरूरी सबक प्राप्त करते
हैं। इसके द्वारा न सिर्फ हम अपने
अस्तित्व में बदलाव ला सकते हैं, वरन अपने चारों तरफ एक सकारात्मक वातावरण
फैला सकते हैं। हमें जीवन को ऋणात्मक प्रवृत्तियों में बर्बाद नहीं करना चाहिए तथा
व्यर्थ के दोषारोपन अपने पर तरस खाने और जीवन की असमानताओं की शिकायत करने में
नहीं गवाना चाहिए। जब तक जीवन है उसे बेहतर बनाएं।
जोगिंदर सिंह (लेखक सी.बी.आई के पूर्व
निदेशक हैं)
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